श्री विष्णु चालीसा | Shree Vishnu Chalisa | Vishnu Stuti | Vishnu Bhagwan Ki Katha


श्री विष्णु चालीसा: इस चालीसा के पाठ से होते हैं विष्णु भगवान प्रसन्न, दूर होते हैं दुख-दर्द। सभी समस्याओं का हल करने वाली विष्णु चालीसा। आज बृहस्पतिवार के दिन सुबह भगवान विष्णु का ये भजन सुनने से जीवन के सब संकट और दुःख दूर हो जाते हैं। 

दोहा:-

राधा तू बड़भागिनी कौन तपस्या कीन ।

तीन लोक तारन तरन सो तेरे आधीन ।।

मेरी भव बाधा हरो राधा नगर सोये ।

जा तन की झाईं परै श्याम हरित दुति होये ।।


नमो नमो वैकुण्ठ निवासी, नमो नमो प्रभु भक्त विलासी ।।

जय-जय-जय अनंत अविनाशि, कृपा करो घट-घट के वासी ।।

ओमकार है नाम तुम्हारा, सभी जगह प्रभु वास तुम्हारा ।।

अगम अगोचर अंतर्यामी, चक्र सुदर्शन धारी स्वामी ।।

शेषनाग की शैय्या वाले, स्वामी सब जग के रखवाले ।।

निराकार साकार तुम्ही हो, सब जग के आधार तुम्ही हो ।।

जड़ और चेतन सबके स्वामी, नटवर नागर अंतर्यामी ।।

जागो-जागो अलख निरंजन, जागो-जागो हे दुःख भंजन ।।

सब रूपों में तुम्ही समाये, ब्रह्मा विष्णु शिव कहलाये ।।

भवसागर प्रभु अगम अपारा, तुम बिन स्वामी कौन हमारा ।।

हम आये प्रभु शरण तुम्हारी, स्वामी रक्षा करो हमारी ।।

दोहा:-

हमसे तुमको बहुत हैं, तुमसो हमको नाँय।
अपनी शरण में लीजिये, पकड़ लीजिये बाँह ।।


हम मूरख नादान अनारी, नहीं कोई सामर्थ हमारी ।।

लोभी और लालची भारी, कैसे भक्ति करें तुम्हारी ।।

काम क्रोध में बुद्धि बिसारी, मन मतंग मेरो गिरधारी ।।

भूले भटके अवगुण भारी, जैसे भी हैं शरण तुम्हारी ।।

जो भी शरण तुम्हारी आते, पाप दोष उनके मिट जाते ।।

हम क्या जाने भेद तुम्हारा, करो नाथ उपकार हमारा ।।

भक्त-अभक्त भये बहुतेरे, सदा रहे चरनन के चेरे ।।

बिता दिया प्रभु जीवन सारा, समझ न पाये भेद तुम्हारा ।।

सुर नर मुनि ज्ञानी विज्ञानी, सब ने हार तुम्ही से मानी ।।

तुमसो कलाकार न कोई, बनो चाहे अपने को कोई ।।

तुम जैसो समरथ न कोई, संभव करो असंभव जोई ।।

रचना प्रलय एक समाना,  स्वामी तुमको दया निधाना ।।

वाणी ज्ञान माध्यम सारे, शकल रूप है नाथ तुम्हारे ।।

काम करे ना पड़े दिखाई, तेरी कला अनोखी साई ।।

यश अपयश सब हाथ तुम्हारे, स्वामी चक्र सुदर्शन बारे ।।

तुम भक्तों के भगत तुम्हारे, स्वामी निज आँखन के तारे ।।

दीनानाथ द्वारिका बारे, हरो सभी संताप हमारे ।।

समय समय प्रकट भये स्वामी, अलख निरंजन अंतर्यामी ।।

तुमने लीला बहुत दिखाई, कुछ समझे कुछ समझ ना आई ।।


दोहा:-

या अनुरागी चित्त की गति समझे न कोय,
ज्यों ज्यों बूड़े श्याम रंग। त्यों त्यों उज्जल होय।


स्वामी होकर दास  कहाये, भक्तों के दुःख दूर भगाये ।।

रूप बदलकै स्वामी आये, कभी राम कभी श्याम कहाये ।।

बड़े बड़े पापी तुम तारे, जो भी आये शरण तुम्हारे ।।

अबलाओं की लाज बचाई, असहाय की करी सहाइ  ।।

जानै भी अभिमान दिखायो, ताकौ नीचो तुरत दिखायो  ।। 

हर युग में रही धाक तुम्हारी, स्वामी चक्र सुदर्शनधारी  ।।

देवासुर संग्राम निहारो, सागर को मंथन कर डारो ।।

देवताओं के कष्ट निवारे, अमृत पिला अमर कर डारे  ।।

दारू पी दानव हरषाए, तेरी कला समझ ना पाए  ।।

मोहिनी रूप पै भए दीवाने, तेरी कला के भए निशाने ।।

सभी समस्या हल कर डारी, तुमने चक्र सुदर्शन धारी ।।

मेरी कौन समस्या भारी, जो तुमसो नहीं जात है टारी ।।

भस्मासुर ने कुमति विचारी, शिव शंकर के परो पिछारी ।।

मोहिनी रूप तुरंत तुम धारो, भस्मासुर भस्मी कर  डारो ।।

तुम सो चतुर ना कोई स्वामी, नटवर नागर अंतर्यामी ।।

कलयुग में श्री कृष्ण मुरारी, छाई क्यों नीरस्ता भारी ।।

द्वापर युग में जब तुम आए, बड़े बड़े कौशल दिखलाए ।।

शस्त्र बिना दानव संघारे, तुमने चक्र सुदर्शन बारे ।।

कंस  को हुकुम बजाबन बारे, बड़े बड़े दानव संघारे ।।

दुष्ट पूतना को तुम मारो, दूध के संग खून पी डारो ।।

कागासुर वगलासुर मारे, बीन बीन दानव सब मारे ।।

भस्मासुर दियो स्वर्ग पठाई, राज कन्या मुक्त कराई ।।

मुरली लेकर हाथ में आए, गोपी ग्वाल सभी हर्षाये ।।

ब्रह्मा को शंका भाई भारी, उन्हें दिखायो अचरचज भारी ।।

मात यशोदा को हर्षायो, मुख में सब ब्रह्मांड दिखायो ।।

बाबा नंद की गाय चराई, वन वन भ्रमत फिरे कन्हाई ।।

काली देह में गोता मारो, नाग नाथ रेती में डारो ।।

मुरली है मशहूर तुम्हारी, जापै तीन लोक बलिहारी ।।

बलिहारी भइँ राधा प्यारी, वृषभानु की राजदुलारी ।।

राधा कृष्ण की सुंदर जोरी, बालक रूप उमरिया थोरी ।।

सुंदर छवि मनोहर लाई, निजमुख नाथ विलोकि जाई ।।

कोटिक चंद्र दिवाकर तारे, जा छवि ने धूमिल कर डारे ।।

कामदेव रति अति शरमाये,  प्रेम पवित्र देख हर्षाये ।। 

तीन लोक के तारन हारे, राधा भये आधीन तुमारे ।। 

मंद मंद मोहन मुस्काये, देवन सबहिं फूल वर्षाये ।।


दोहा:-

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।
मानो नीलमणि सैल पर आपत परयो प्रभात।।
 

पैसठ  दिन में करी पढ़ाई, गुरुदक्षिणा दी मन भाई ।।

संदीपन को कष्ट निवारो, पुनरदत्त जीवित कर डारो ।। 

वसुदेव और देवकी रोये, हाय विधाता कैसे होये ।।

पारब्रह्म क्यों सुधि विसराई, नाथ हमारी करो सहाई ।।

स्वामी तुम बिन कौन हमारा, जेल से करो जल्द छुटकारा ।।

हम आये प्रभु शरण तुम्हारी, स्वामी रक्षा करो हमारी ।।

तब गोकुल छोड़के मथुरा आये, मात पिता के बंध छुड़ाये ।।

केश पकड़कर कंस पछारो, दुर्गति करि दुष्ट को मारो ।।

एक दिन मान इंद्र को मारो, ऊँगली पै गोबर्धन धारो ।।

अर्जुन को रथ हाँकन हारे, गीता के उपदेश तुम्हारे ।।

द्रोपदी जब दुष्टों ने घेरी, राखी लाज करी न देरी ।।

लाज बचाओ लाज बचैया, मनमोहन श्री कृष्ण कन्हैया ।।

कीजै चक्र सुदर्शन धारण, स्वामी निज भक्तों के कारण ।।

स्वामी शरण तुम्हारी आये, हम कष्टों से हैं घबराये ।।

कष्ट हरो प्रभु अंतर्यामी, तुम बिन कौन हमारो स्वामी ।।

स्वामी अपनी शरण लगाओ, सारे संकट शीघ्र मिटाओ ।।

करो दया  प्रभु दया के सागर, अगम अगोचर नटवर नागर ।।

दीनानाथ द्वारका वारे, हरो सभी संताप हमारे ।।

दुखियों के दुःख हरने वारा, अटल रहे दरबार तुम्हारा ।।

कृपा भारी भई तुम्हारी, स्वामी चक्र सुदर्शन धारी ।।

सबका स्वागत द्वार तुम्हारे, है मनमोहन मुरली वारे ।।

दर से कोई न जाये निराशा, पूरी करदो सबकी आशा ।।

हक़ वारे का हक़ न मारो, स्वामी सबका कष्ट निवारो ।।

जो इस दर से वंचित होई, ताकौ न अपनावे कोई ।।

शरण गहे की लाज हमारी, रखियो चक्र सुदर्शन धारी ।।

स्वामी विनती यही हमारी, सबक भला करो गिरधारी ।।

हरिओम - हरिओम का चेरा, कीजै नाथ हृदय में डेरा ।।


स्वामी तेरा जगत में, है उत्तम दरबार ।
हरिओम दर से तेरे, हो सबका उद्धार ।।

सांचे दरबार की जय ।।

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श्री विष्णु चालीसा: इस चालीसा के पाठ से होते हैं विष्णु भगवान प्रसन्न, दूर होते हैं दुख-दर्द। सभी समस्याओं का हल करने वाली विष्णु चालीसा। आज बृहस्पतिवार के दिन सुबह भगवान विष्णु का ये भजन सुनने से जीवन के सब संकट और दुःख दूर हो जाते हैं।  A Devotional Stothram Dedicated To The Ultimate Supreme God: LORD VISHNU. Please Like, SHARE and Subscribe for more devotional Songs.


Singer: Suneel 
Lyrics: Sri Hariom Guruji 
Album: Shree Vishnu Chalisa
Music Producer: The Dynamic Media
Editor, Director & Publisher: Remedial Sounds 

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